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चारधाम यात्रा की अव्यवस्था उजागर करने पर पत्रकार के खिलाफ FIR क्यों?, उत्तरकाशी प्रशासन का तानाशाही रवैया

नई दिल्ली, 16 मई। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) गए श्रद्धालुओं को जाम से राहत नहीं मिल पा रही है। सबसे अधिक समस्या यमुनोत्री एवं गंगोत्री मार्ग पर है।

इधर, चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालुओं को जाम की वजह से हो रही परेशानी को लेकर प्रकाशित खबरों को लेकर उत्तराखंड शासन ने पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। 15 मई को दैनिक भास्कर ने “चारधामः 45 किमी का जाम, लोग 25 घंटे से फंसे, दर्शन के इंतजार में 10 की मौत” शीर्षक के साथ समाचार का प्रकाशन किया था। इस खबर को लेकर उत्तरकाशी प्रशासन ने भास्कर के संवाददाता मनमीत के खिलाफ धारा 153-ए और 505 के तहत एफआईआर दर्ज करा दिया।

पत्रकार के खिलाफ प्रशासन की यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार है। चारधाम यात्रा से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसे सुलभ और सहज बनाए रखने का स्थानीय प्रशासन का है। यदि अव्यवस्था बनेगी श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा तो इसे सामने लाने का काम मीडिया का है। पत्रकार की यह एक जिम्मेदारी है। प्रशासन की कार्रवाई तानाशाही रवैये का प्रतीक है। इसका प्रत्येक स्तर पर विरोध होना चाहिए।

उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश सहित कुछेक राज्यों में इस तरह के मामले सामने आ रहे है, जहां शासन- प्रशासन के कार्यों की अव्यवस्थाओं को उजागर करने पर पत्रकारों के खिलाफ मामले बनाए जा रहे हैं और उन्हें जेल में डालने का काम किया जा रहा है।

 

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